कल की ही बात है (It was Just Yesterday - Hindi Poem)
यह कल की ही बात है जब समझ आया अपने होने का,
नए स्कूल में एडमिशन मिलने का, नए कपड़ों बस्तों को पाने का,
स्कूल के दोस्तों और मोहल्ले के खेलों में डूब जाने का,
आज मां ने समोसे बनाया है ये सोच के खुश हो जाने का,
नए स्कूल में एडमिशन मिलने का, नए कपड़ों बस्तों को पाने का,
स्कूल के दोस्तों और मोहल्ले के खेलों में डूब जाने का,
आज मां ने समोसे बनाया है ये सोच के खुश हो जाने का,
यह कल की ही बात है कुछ दांतों के टूट जाने का,
उसको जमीन में अच्छे से दफनाने का,
कहीं जम ना जाए पेट में गलती से खाया वो बीज,
इस घबराहट में पूरी रात जागते गुजारने का,
यह कल की ही बात है चुपके दबे पांव घर से बाहर खेलने जाने का,
मोहल्ले के पेड़ों से दोस्तों संग दुपहरी में कुछ आम चुराने का,
शक्तिमान का ड्रेस लेने के लिए सबको मनाने का,
शाम को होमवर्क कर लूंगा लेकिन फिर भूल जाने का,
यह कल की ही बात है जब सेकंडरी बोर्ड एग्जाम का सोच के घबराने का,
फिर दोस्त क्या पढ़ रहे होंगे ये पता लगाने का,
बस एक घंटे की परमिशन पे तीन घंटे खेल जाने का,
वापस घर आने पर लंबी डांट खाते हुए आंसू गिराने का,
फिर दोस्त क्या पढ़ रहे होंगे ये पता लगाने का,
बस एक घंटे की परमिशन पे तीन घंटे खेल जाने का,
वापस घर आने पर लंबी डांट खाते हुए आंसू गिराने का,
यह कल की ही बात है बायोलॉजी से ज्यादा मैथ्स में स्कोप जताने का,
केमिस्ट्री की लैब में सारे केमिकल को आपस मिलाने का,
नई साइकिल के साथ नई घड़ी मिलने पर ज़रा इतराने का,
जेब खर्च कुछ बढ़ जाने पर खुशी से खिलखिलाने का,
यह कल की ही बात है अब घर होगा कॉलेज का हॉस्टल,
यह सोचकर रोती हुई मम्मी के साथ सो जाने का,
कॉलेज के नए कल्चर में थोड़ा थोड़ा करके रम जाने का,
फिर एक दिन सारा समान और यादों को लेकर नई मंज़िल पे निकल जाने का,
यह कल की ही बात है जब फॉर्मल कपड़ों में कॉरपोरेट जिंदगी में आने का,
रात को काम और दिन में सोने का नया फॉर्मूला बनाने का,
मीटिंग फोन पर भी होती है ये देखकर हैरत जताने का,
और चमक दमक की उस जिंदगी को फिर से छोड़ जाने का,
ऐसा लगता है यह कल की ही बात है,
लेकिन सच्चाई कुछ और ही है,
ऐसा लगता है लंबा फासला सा निकल चुका है,
दोस्त दूर से हो गए है और वो शहर अब छूट सा गया है,
यह बात अब कल की नहीं रही, अतीत की हो चुकी है,
लेकिन छाप इतनी गहरी है कि पता ही नहीं चलता,
अब मोहल्ला अलग है, दोस्त अलग है, होली दीवाली अलग है,
बस यादों के अलावा सब कुछ अलग है।
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रचनाकार - प्रमोद कुमार कुशवाहा
Image Credits : Pixabay
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