रतनगढ़ किला ट्रैक : सह्याद्रि के पहाड़ों का आभूषण (Trekking to Ratangarh Fort)

रतनगढ़ किला(Ratangarh Fort) महाराष्ट्र के अहमदनगर(Ahmadnagar) जिले में स्थित है। पुणे से 180 किलोमीटर दूर यह किला भंडारदारा झील(Bhandardara Lake) के किनारे पर है। पुणे से रतनगढ़(Ratangarh) जाने में सड़कमार्ग से लगभग 4-5 घंटे का समय लगता है। रतनगढ़ किला(Ratangarh Fort) कुछ विशेष कारणों से प्रसिद्ध है। मुख्य कारण यहाँ खिलने वाले बैगनी रंग के कार्वी फूल(Karvi Flower) हैं। यह फूल सात वर्ष में एक बार खिलते हैं। रतनगढ़ किले से महाराष्ट्र के विश्व विख्यात अलंग मदन कुलंग के पहाड़ और महाराष्ट्र की सबसे ऊँची चोटी कलसुबाई दिखाई देते हैं। रतनगढ़ किले(Ratangarh Fort) की ट्रैकिंग(Trekking) के लिए इसके आधार गाँव रतनवाड़ी जाना होता है। रतनगढ़ किले को सह्याद्रि के पहाड़ों का आभूषण(Jewel of Sahyadri Hills) भी कहा जाता है। इस किले के शिखर के चट्टान में एक बहुत बड़ा छेद(Hole) है जिसे सुई की आँख(Eye of Needle) के नाम से जाना जाता है।  

रतनगढ़ किले की ट्रैकिंग(Ratangarh Fort Trekking) के लिए हम लोग पुणे से एक ट्रैकिंग समूह(Trekker's Group) के साथ रात के करीब 11 बजे बस से निकले। यह एक छोटी बस थी जिसमे 30-35 लोग शामिल थें। रास्ते भर मनोरंजन करते हुए हम लोग सुबह 4 बजे रतनगढ़ किले के आधार गाँव(Base Village) रतनवाड़ी(Ratanwadi) पहुँचे। यहाँ थोड़ा आराम करने के बाद फ्रेश होकर हमने नाश्ता किया। रात के अँधेरे में आने की वजह से आस पास के दृश्यों के बारे में हमें कोई अनुमान नहीं था। लेकिन जैसे ही सूर्योदय हुआ हमने अपने आप को चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ पाया। रतनवाड़ी गाँव(Ratanwadi Village) पहाड़ों के बीच की घाटी में स्थित है। 

सुबह 6 बजे रतनवाड़ी गाँव(Ratanwadi Village) से हम लोग रतनगढ़ किले की ट्रैकिंग(Ratangarh Fort Trekking) के लिए निकल पड़े। धान के खेतों से होते हुए हम लोग जंगल में पहुँचे। ट्रैक का बड़ा हिस्सा घने जंगलों से होकर गुज़रता है। रास्ते में एक सुंदर सा झील भी दिखा। जंगल को पार करके हम लोग अब पहाड़ पर चढ़ने लगे। यहाँ हमें एक झरना भी दिखा। यहाँ रुककर हमने मुँह धोया और शीतल पानी भी पिया। रतनगढ़ ट्रैक(Ratangarh Trek) में कुछ जगह बहुत खड़ी चढ़ाई है इसलिए यहाँ लोहे की सीढ़ियाँ लगाई गयी हैं। यहाँ कुछ जगह पानी इकठ्ठा करने के लिए कृत्रिम कुंड भी बने हुए थे। रतनगढ़ किले(Ratangarh Fort) के पुराने अवशेष और खंडहर भी देखने को मिले जहाँ लोग फोटो खिंचवा रहे थे। 

कुछ देर की ट्रैकिंग के बाद हम लोग रतनगढ़ किले(Ratangarh Fort) के उस भाग में पहुँचे जहाँ कार्वी के फूल(Karvi Flower) खिले हुए थे। हमारे सामने की पूरी घाटी बैंगनी रंग(Purple Color) के फूलों से भरी पड़ी थी। यह देखने योग्य नज़ारा था। हम लोगों ने यहाँ अच्छा समय बिताया और कुछ फोटो भी खींचे। कार्वी के फूलों(Karvi Flower) के अलावा यहाँ पीले रंग के सोनकी के फूल(Sonaki Flower) भी खिले दिखे। थोड़ा आगे बढ़ने पर अब हमें रतनगढ़ किले(Ratangarh Fort) का शिखर(Highest Peak) दिखने लगा था। वहाँ जाने के लिए लोहे की सीढ़ियाँ लगी हुई थी। हम लोग उस ओर बढ़ने लगे। चारों ओर पहाड़ और घाटियाँ दृश्य को मनमोहक बना रही थी। 

अब हम लोग रतनगढ़ ट्रैक(Ratangarh Trek) के सबसे ऊँचे स्थान पर पहुँच चुके थे। यहाँ पर पहाड़ के आर पार एक बड़ा सा छेद(Hole) था जिसे सुई की आँख(Eye of Needle) कहा जाता है। यहाँ तेज़ और ठंढी हवा के झोंके से हमारी थकान कम हो गयी। यहाँ हमने कुछ देर आराम किया। सामने कुछ कदम की ऊँचाई पर भगवा ध्वज लहरा रहा था। हम लोग भी बारी बारी से वहाँ जाकर फोटो खिंचवाया। यह बहुत संकरा स्थान था जहाँ बैठकर जाना पड़ता था क्योंकि इसके चारों ओर गहरी खाई थी। सामने महाराष्ट्र का सबसे ऊँचा शिखर(Highest Peak of Maharashtra) कलसुबाई(Kalsubai) का पहाड़ दिख रहा था। इसके साथ ही एक और प्रसिद्ध ट्रैक अलंग मदन कुलंग(Alang Madan Kulang - AMK) के पहाड़ भी नज़र आये। 

कुछ समय तक शिखर पर गुज़ारने के बाद हम लोग वापस आधार गाँव रतनवाड़ी(Ratanwadi Village) के लिए आगे बढ़ने लगे। वापसी के समय हमें प्रसिद्ध संधन घाटी(Sandhan Valley) भी दिखी। बेहतरीन और मनोहारी दृश्यों को देखते हुए हम लोग पहाड़ से नीचे उतरने लगे थे। भंडारदारा झील(Bhandardara Lake) का नज़ारा भी यहाँ से अच्छा दिख रहा था। रतनगढ़ ट्रैक(Ratangarh Trek) का आखिरी हिस्सा एक लंबा पठारी(Plateau) भूभाग था। यहाँ का रास्ता ट्रैक के बाकी हिस्सों के तुलना में आसान था। धूप तेज़ थी इसलिए थकान भी होने लगी थी। अपने मज़बूत इरादों के साथ हम लोगों ने शाम करीब 5 बजे रतनगढ़ ट्रैक(Ratangarh Trek) पूरा किया। रतनवाड़ी गाँव पहुँच कर हम लोगों ने भरपेट खाना खाया। 

शाम हो चुकी थी और सूर्यास्त भी होने वाला था। हम लोग अपने बस में बैठकर वापस अपने गंतव्य स्थान पुणे की ओर बढ़ने लगे। रास्ते में रुककर हम लोग पास के अमृतेश्वर मंदिर(Amriteshwar Temple) भी गए। रतनगढ़ के किले की ट्रैकिंग(Ratangarh Fort Trekking) का शानदार अनुभव हमारे जेहन में जादुई खुशियाँ दे रहा था। मुझे यह ट्रैक बेहद अच्छा लगा। बैंगनी रंग के कार्वी के फूलों(Karvi Flower) ने हमारा दिन बना दिया था। इस ट्रैक से दिखने वाले अद्भुत नज़ारों ने आँखों को सुकून पहुँचाया। रतनगढ़ किला ट्रैक(Ratangarh Fort Trekking) विविधता से भरा हुआ ट्रैक है। यहाँ जंगल, नदी, झरना, झील, पहाड़ और सुंदर घाटियों का मनोहारी संगम है। यह ट्रैक साहसिक ट्रैकिंग(Adventerous Trekking) करने वाले लोगों के इच्छा सूची(Wish List) में ज़रुर होना चाहिए। 
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कठिनाई स्तर  : मध्यम।  
धैर्य स्तर  मध्यम। 
ट्रैकिंग समय  लगभग 5-6   घंटे। 
रतनगढ़ किला ट्रैक पर कैसे पहुंचे पुणे(Pune) से रतनगढ़ किला ट्रैक के आधार गाँव रतनवाड़ी की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है। यहाँ आप कार से आसानी से पहुँच सकते हैं । इसके अलावा यह मुंबई, अहमदनगर और नासिक से भी सड़कमार्ग से जुड़ा हुआ है। 
रतनगढ़ किला ट्रैक पर जाने सबसे अच्छा समय : मॉनसून के बाद सितंबर से फरवरी के समय। कार्वी के फूल सामान्यतः नवंबर में खिलते हैं। 
रतनगढ़ किला ट्रैक पर जाने में लगने वाला समय  : 1 दिन का। लेकिन पुणे से रात को ही रतनगढ़ के लिए निकलना पड़ता है। ट्रैकिंग सुबह 6 बजे शुरु करना होता है। 
रतनगढ़ किला ट्रैक पर ले जाने वाले अनिवार्य सामान  : ट्रैकिंग शूज, रेनकोट, अतिरिक्त सूखे कपड़े ट्रैकिंग के बाद पहनने के लिए, वाटरप्रूफ बैग, ग्लूकोज़ युक्त पानी की बोतल, कैमरा, दर्द  निवारक  स्प्रे, स्नैक्स, फोटो आईडी।
















































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