सांगली : कृष्णा नदी के किनारे हल्दी और अंगूरों का शहर (Sangli - Turmeric & Grapes City on the banks of Krishna River)

सांगली(Sangli) पश्चिम महाराष्ट्र में कर्नाटक की सीमा से सटा हुआ एक बेहद खुशमिज़ाज़ और ज़िंदादिल शहर है। यह शहर मेरे वर्तमान नौकरी (Job) में पहली नियुक्ति (Posting) का स्थान भी है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या के पास गोंडा जैसे छोटे कस्बे में प्रारंभिक जीवन गुज़ारने की वजह से मुझे बड़े मेट्रो शहर की भाग दौड़ पसंद नहीं है।  ऐसे में जब मैं सांगली(Sangli) जैसे शहर में आया तो ऐसा लगा जैसे अपने कस्बे में ही वापस आ गया हूँ। बहुत कम ही ऐसे शहर होते हैं जो बाहर से आनेवालों को इतना जल्दी अपने आत्मिक व्यवहार से अपना बना लेते हैं। सांगली शहर भी  कुछ ऐसा ही है। सांगली(Sangli) के बारे में मेरी कुछ पंक्तियाँ इस शहर के बारे में मेरी भावनाओं को प्रदर्शित करती हैं - 

दिल के बड़े ही नेक हैं अंदाज़ मखमली,
अंगूर और हल्दी का बाजार चांगली,

प्रतिकूल हवाओं में भी बेफ़िक्र ये शहर,
कृष्णा नदी की गोद में आबाद सांगली। 

चांगली का मतलब मराठी भाषा में 'बहुत अच्छा'(Very Good) होता है। बाढ़ हो या कोरोना काल, मैंने इस शहर को हर परिस्थितियों का डटकर सामना करते देखा है। सांगली में घूमने देखने की बहुत सारी जगह है और यहाँ का व्यापार भी सुव्यवस्थित है। सांगली(Sangli) शहर के ऐसे ही कुछ विशेषताओं की जानकारी अपने शब्दों में व्यक्त कर रहा हूँ -

सांगली में हल्दी कारोबार(Sangli's Turmeric Business)
हल्दी(Turmeric) हमारे घर की रसोई में मसाले से लेकर प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके गुणों से आम से लेकर ख़ास सभी लोग परिचित है। सांगली(Sangli) में हल्दी का उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है और यहाँ की मंडी देश के सबसे बड़े मंडियों में से एक है। यहाँ की हल्दी को विदेशों में निर्यात(Export) भी किया जाता है। सांगली के हल्दी को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indicator or GI Tag) का दर्ज़ा मिला हुआ है। यह उन्ही उत्पादों को मिलता है जिनका एक विशेष भौगोलिक मूल स्थान होता है और उसकी अच्छी गुणवत्ता होती है।  

सांगली का अँगूर और किशमिश (Sangli's Grapes & Raisin)
सांगली(Sangli) में उगाया जाने वाला अंगूर भी बहुत स्वादिष्ट होता है। आम तौर पर यहाँ हरे और काले दोनों प्रकार के अंगूरों की खेती होती है। सांगली में अंगूरों के बाग़ को आप सड़क के किनारे आसानी से देख सकते हैं। जनवरी से लेकर मार्च के महीने तक इसकी पैदावार होती है। इन अंगूरों की विदेशों में बहुत मांग(Demand) हैं और इसीलिए यहाँ के अंगूर बहुत बड़ी मात्रा में विदेश में निर्यात किये जाते हैं।  मुझे भी इन अंगूरों के बाग़ में कई बार जाने का अवसर मिला और यकीन मानिये इन बागों में जाकर ताज़ा अंगूरों को खाने का मज़ा ही कुछ और है। अंगूर की बड़ी मात्रा में उपज के कारण यहाँ किशमिश(Raisin) का उत्पादन भी बड़ी मात्रा में होता है। बहुत उच्च गुणवत्ता वाले यहाँ के किशमिश पूरे देश के साथ साथ विदेशों में भी भेजे जाते हैं। 

गणपति मंदिर (Ganpati Temple)
सांगली(Sangli) का गणपति मंदिर इस शहर के मुख्य आकर्षण का केंद्र है। कृष्णा नदी के किनारे स्थित यह बहुत प्राचीन मंदिर है और काले पत्थर से निर्मित इस मंदिर की बनावट मुझे बहुत अच्छा लगा। इस मंदिर का द्वार बहुत बड़ा और आकर्षक है। यहाँ का वातावरण बहुत ही शांत रहता है। मंदिर के प्रांगण(Courtyard) में मुख्य मंदिर के अलावा चार और भी मंदिर है। मंदिर के अंदर काफी हरियाली है और पत्थर के बने बड़े बड़े हाथी के जोड़े मंदिर की शोभा को बढ़ा देते हैं। 

कृष्णा नदी घाट(Krishna River Ghat)
सांगली(Sangli) शहर की लाइफलाइन(Lifeline) मैं इस शहर से गुजरने वाली कृष्णा नदी को मानता हूँ। आज सांगली की खेती, व्यापार और खुशहाली जो भी है उसका मुख्य कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष(Direct or Indirect) रूप से कृष्णा नदी ही है। गणपति मंदिर के पास ही कृष्णा नदी पर एक बहुत ही सुन्दर घाट का निर्माण किया गया है। इस घाट पर जहाँ सुबह के वक़्त लोग यहाँ तैराकी करते दिख जायेंगे वही शाम के समय घाट की सीढ़ियों पर सूर्यास्त का सुंदर नज़ारा देखते हुए लोग नज़र आएंगे। यहाँ पर नौका विहार(Boating) का आनंद भी उठा सकते हैं। गणपति फेस्टिवल(Ganpati Festival) के समय मूर्ति विसर्जन के लिए यहाँ काफी लोगों की भीड़ होती हैं जिसके कारण यहाँ का माहौल और भी अच्छा लगने लगता है। कृष्णा नदी के घाट के पास ही एक सुन्दर सा गार्डन भी हैं। 

नरसिंह वाड़ी (Narsinh Wadi)
वैसे तो भौगोलिक रूप से नरसिंह वाड़ी कोल्हापूर जिले में आता है लेकिन सांगली(Sangli) शहर से यह काफी पास लगभग 22 किलोमीटर पर है। इसे नरसोबा वाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ कृष्णा नदी(Krishna River) और पंचगंगा नदी(Panchganga River) का संगम होता हैं। भगवान दत्तात्रेय(Lord Dattatray) के अवतार माने जाने वाले श्री नरसिंह सरस्वती का मंदिर होने की वजह से इसका नाम नरसिंह वाड़ी पड़ा। यहाँ मंदिर के आसपास एक छोटा सा बाजार भी है जहाँ आप चाय नाश्ता कर सकते हैं। शाम के समय यहाँ के घाट पर बैठ कर दो नदियों का मिलन देखना सुखद अनुभव देता है। 

दांडोबा हिल्स (Dandoba Hills)
सांगली शहर से मात्र 32 किलोमीटर दूर स्थित दांडोबा हिल्स मानसून के समय एक बहुत ही दर्शनीय स्थल बन जाता है। यहाँ की हरियाली और मौसम मन को बहुत ही सुकून देता है। यहाँ आप कार से भी जा सकते हैं और ट्रैकिंग करके भी। आसपास मोर(Peacock) के आवाज़ें गूँजती रहती है। मुझे यहाँ पेड़ों पर बया चिड़िया का घोसला भी दिखा। दांडोबा के पहाड़ पर एक प्राचीन मंदिर भी है। अगर आप सांगली में बारिश के मौसम में आये है तो दांडोबा हिल्स घूमने ज़रूर जाइये। 

चांदोली नेशनल पार्क और सह्याद्रि टाइगर रिज़र्व (Chandoli National Park & Sahyadri Tiger Reserve)
सांगली(Sangli) के शिराला(Shirala) तहसील में स्थित चांदोली नेशनल पार्क और सह्याद्रि टाइगर रिज़र्व मेरा पसंदीदा स्थान है। मानसून की बारिश में यह जगह बेहद खूबसूरत हो जाता है। मुझे यहाँ आना बहुत ही अच्छा लगा।  यहाँ के पहाड़ों पर चावल के हरे सीढ़ीदार खेत देखना बहुत ही अच्छा अनुभव था। यहाँ बहुत सारे झरने(Waterfall) देखने को मिलते हैं। चांदोली नेशनल पार्क के आस पास का पूरा इलाका ही देखने लायक होता है।  सांगली(Sangli) में अगर आप आये हैं तो मानसून के समय यहाँ ज़रूर जाइये। सह्याद्रि टाइगर रिज़र्व में बाघों को देखना हो तो सितंबर महीने के बाद आइए जब यह पर्यटकों के लिए खोला जाता है। 

हरिपुर (Haripur)
सांगली शहर से लगभग 5 किलोमीटर पर स्थित हरिपुर में कृष्णा नदी(Krishna River) और वारणा नदी(Warna River) का संगम होता है। यहाँ आप नौका विहार(Boating) भी कर सकते हैं।  संगम के घाट पर पक्की सीढ़िया बनी हैं जहाँ बैठकर लोग शाम को सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देखते हैं। नदी के किनारे कृष्णा माई का एक मंदिर बनाया गया है।  संगम के पास में ही संगमेश्वर मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। संगम के पास बहुत सारे स्थानीय बच्चे क्रिकेट खेलते दिखाई देते हैं।  

मिरज का संगीत वाद्ययंत्र और स्वास्थ्य पर्यटन(Miraj's Musical Instruments & Health Tourism)
सांगली(Sangli) और मिरज़(Miraj) दो जुड़वाँ शहर हैं जिनकी आपस में दूरी मात्र 8 किलोमीटर है। मिरज़ यहाँ बनाये जाने वाले संगीत के वाद्ययंत्रों के कारण देश विदेश में प्रसिद्ध है। यहाँ मुख्य रूप से सितार, सरोद और तानपुरा का निर्माण होता है। इसके अलावा मिरज़ में बहुत सारे सरकारी, अर्ध सरकारी और निजी अस्पताल हैं जहाँ महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और देश के अन्य स्थानों से लोग यहाँ इलाज के लिए आते हैं। 

सांगली का गन्ना उत्पादन और शुगर मिल (Sangli's Sugarcane Production & Sugar Factories)
पश्चिम महाराष्ट्र की एक ख़ास बात यह भी है कि यहाँ गन्ना(Sugarcane) की खेती बहुत बड़े पैमाने पर होती है। कृष्णा नदी, वारणा नदी और पंचगंगा नदी के बीच बसा सांगली(Sangli) एक बहुत उपजाऊ क्षेत्र है। यहाँ सिंचाई की अच्छी व्यवस्था और मानसूनी बारिश के कारण गन्ने की अच्छी फसल होती है। मुझे यहाँ के खेतों के आसपास घूमते हुए ऐसा लगता है जैसे मैं पूर्वी उत्तर प्रदेश के आपने गृहनगर के खेतों के पास घूम रहा हूँ। गन्ना बेल्ट होने के कारण यहाँ 10 से ज्यादा गन्ना मिलें(Sugar Factories) हैं। मुझे भी कई गन्ना फैक्ट्रियों में जाने का मौका मिला है। इस तरह से हम यह कह सकते है कि सांगली के अर्थव्यस्था और राजस्व में इन गन्ना फैक्ट्रियों का प्रमुख योगदान है। 

इन सभी विशेषताओं के अलावा भी सांगली(Sangli) में कुछ अन्य स्थान है जैसे तासगाँव(Tasgaon) का गणपति मंदिर, अंबराई क्लब, पलूस में फूलों के खेत इत्यादि। तो जब भी आप महाराष्ट्र के पश्चिमी भाग में जाइये तो सांगली ज़रूर जाइये। 
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सांगली में ये करना ना भूलें  गणपति मंदिर देखना, अंगूर के बाग़ देखना, कृष्णा घाट, चांदोली में मानसून में घूमना, दांडोबा हिल्स जाना, नरसिंह वाड़ी जाना।  
सांगली कैसे पहुँचे  : निकटतम हवाई अड्डा कोल्हापूर में 45 किलोमीटर दूर है तथा निकटतम रेलवे स्टेशन मिरज़ है जहाँ के लिए पुणे, मुंबई , दिल्ली इत्यादि शहरों से ट्रेन मिलती हैं। पुणे, बेलगाँव, कोल्हापूर तथा देश के अन्य बड़े शहरों से सांगली आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं।  
सांगली जाने सबसे अच्छा समय : वैसे तो पूरे साल सांगली जा सकते हैं लेकिन अंगूर के बाग देखना हो तो जनवरी से मार्च के बीच जाइये, चांदोली में मानसून में जाना ठीक रहेगा और गणपति फेस्टिवल में भी यहाँ आना अच्छा रहेगा। 
सांगली जाने में लगने वाला समय  :  2 दिन / 1 रात















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