अंधारबन मानसून ट्रैक : अँधेरे जंगलों में रोमांच (Andharban Monsoon Trek - Hindi Blog)

अंधारबन(Andharban) का शाब्दिक अर्थ है अँधेरा जंगल(Dark Forest)। पुणे से लगभग 57 किलोमीटर और मुंबई से 144 दूर सह्याद्रि की पहाड़ियों(Sahayadri Range) में स्थित तामिनी घाट(Tamhini Ghats) में किया जाने वाला यह ट्रैक प्रकृति का एक बहुमूल्य उपहार है।  यह एक मानसून ट्रैक(Monsoon Trek) है जो अपने घने अंधकारमय जंगलों, ऊँचे पहाड़ों और इन पहाड़ों से गिरते झरनों की कतारों के लिए प्रसिद्ध है।  

महाराष्ट्र में आने के बाद मुझे पश्चिमी घाट(Western Ghats) की पहाड़ियों में होने वाले मानसून ट्रैक के बारे में पता चला।  सोशल मीडिया पर भी अपने दोस्तों के द्वारा साझा किये गए फोटो को देखने के बाद इन खूबसूरत पहाड़ों के आँचल में ट्रैक करने का मौका खोज ही रहा था तभी मेरे एक मित्र ने मुझे अंधारबन ट्रैक(Andharban Trek) के बारे में बताया। यह ट्रैक कुछ पेशेवर और अनुभवी युवाओं द्वारा आयोजित किया जा रहा था जिसमे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना था।  

मानसून ट्रैक(Monsoon Trek) के बारे में मेरी सलाह यही है कि आप कभी अकेले ट्रैक करने ना जाए बल्कि समूह में अनुभवी लोगों के साथ जाएँ।  यह इसलिए क्योंकि पहाड़ों में भारी बारिश के कारण कब झरनों का बहाव तेज़ और खतरनाक हो जाए पता ही नहीं चलता।  खैर हम लोगों भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करके ट्रैकिंग के दिन का इंतज़ार करने लगे।  नियत तारीख को हम लोग सुबह 5 बजे पुणे में शिवाजीनगर नाम के जगह पर एकत्रित हुए जहाँ से समूह में बस द्वारा अंधरबान ट्रैक(Andharban Trek) में आधार ग्राम पिंपरी(Pimpri) के लिए निकले। करीब 2 घंटे की बस यात्रा के बाद हम लोग पिंपरी गाँव पहुँचे। 

पिंपरी गाँव से अंधारबन ट्रैक(Andharban Trek) शुरू करने से पहले आयोजकों हमें ट्रैकिंग से सम्बंधित ज़रूरी जानकारियाँ और मानसून ट्रैक के अनुशासन के बारे में बताया जिससे सभी लोग अपने आप को सुरक्षित रखते हुए प्रकृति का आनंद उठा सके।  मानसून के ट्रैक में फिसलन भरे रास्तों पर झरनों और खाई के बगल में चलने के लिए बुनियादी बातों के जानकारी होना बहुत जरुरी है।  

हम लोगों ने 9 बजे ट्रैकिंग करना शुरू किया।  बारिश बहुत जोरों की हो रही थी।  पूरे समूह के लोग उत्साह से भरे हुए थे।  ट्रैकिंग के शुरुआत में ही पिंपरी बाँध(Pimpri Dam) को पैदल पार करना पड़ता है।  पानी के तेज़ बहाव वाले बाँध के दिवार पर एक दूसरे के हाथ को पकड़कर हम लोग धीरे धीरे आगे बढ़ते गए और पानी का तेज़ बहाव हमको नीचे धकेलने का असफल प्रयास करता रहा।  आगे कुछ दूर तक का रास्ता थोड़ा आसान सा था। हम लोग आराम से चले जा रहे थे कि आगे एक बड़ा नदी सा प्रतीत होता झरना(Waterfall) दिखा। झरने का पानी तेज़ ढलान पर अधिक रफ़्तार के साथ गिर रहा था जिसका आवाज़ बहुत अच्छा लग रहा था।  इस झरने को पार करने के लिए एक ख़ास रस्सी झरने के दोनों ओर के मज़बूत पेड़ों पर बाँधी गयी।  बहुत ही सावधानी से हम लोगों ने झरने को पार किया।

तामिनी रेंज(Tamhini Range) के पहाड़ बहुत ही हरे भरे थे। बारिश में भीगते हुए प्रकृति की गोद में खूबसूरत पहाड़ और इन पहाड़ों से गिरते झरने मनमोहक लग रहे थे। कुछ देर की ट्रैकिंग के बाद घना जंगल शुरू होने लगा।  घने जंगलों में बारिश के कारण कोहरा(Fog) बहुत ज्यादा था। इसी वजह से विसिब्लिटी(Visibility) बहुत कम हो गया था।  अंधारबन ट्रैक(Andharban Trek) का नाम इसी वजह से पड़ा।  जंगलों में गिरे हुए पेड़ों को पार करते हुए हम लोग गीली मिट्टी के रास्तों पर बढ़े जा रहे थे।  ऐसे प्राकृतिक माहौल के कारण थकान का नामोनिशान नहीं था।  कुछ रास्ते सपाट से थे जहाँ चलना आसान था लेकिन वहीं कुछ जगह खाई के पास से भी गुज़रना पड़ता है और साँसे थम सी जाती थी।  लेकिन ये सब करना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता ही है।

करीब 4 घंटे की ट्रैकिंग के बाद सबसे ऊँचे स्थान पर पहुंचने के बाद का दृश्य बहुत ही खूबसूरत था।  सामने दूर तक फैली कुंडालिका वैली(Kundalika Valley) और पहाड़ों से गिरते हुए झरनों की असंख्य कतारें अद्भुत सा नज़ारा पेश कर रही थी।  सब लोगों ने यहाँ पर बहुत सारे फोटो खींचे।  यहाँ से भीरा डैम(Bhira Dam) भी दिखता  है जहाँ टाटा का पावर प्रोजेक्ट है। भीरा डैम का पानी दूर से ही घाटी में फैला दिख रहा था।  थोड़ी देर तक रुकने के बाद अब हम लोगों को वापस नीचे की ओर उतरना था।  बहुत ज्यादा चलने की वजह से जोरों की भूख लगने लगी थी।  कुछ देर उतरने के बाद पहाड़ों की तलहटी में एक छोटा सा गाँव था जहाँ की पाठशाला में बैठकर हम लोगों ने लंच किया।

लंच करने के बाद  के बाद हम लोग आगे बढ़े।  कुछ दूर आगे एक जगह पर पहाड़ों की चट्टान से एक बड़ा सा झरना(Waterfall) गिरता हुआ दिखा।  यह झरना थोड़ी दूर तक समतल और चिकने पत्थरों पर बहने के बाद नीचे खाई में गिरता है।  यहाँ  सब लोगों ने पानी में जमकर मौज़ मस्ती किया।  खूब जी भर कर नहाने के बाद सारा थकान दूर  हो गया था।  कब 1 घंटा गुज़र गया पता ही नहीं चला।  अब हम लोग नीचे अपने गंतव्य स्थान की ओर तेज़ी से बढ़ने लगे जहाँ हमारी बस वापस पुणे ले जाने के लिए खड़ी थी। अपने भीगे हुए कपड़ों के बदल कर बस पर अपनी सीट पर बैठ गए।

शाम अब ढलने लगी थी। वापसी के समय थोड़ा थकान तो था लेकिन अपने पहले ट्रैक को सफलता के साथ पूरा करने के वजह से बहुत सुकून था।  इस ट्रैक ने बहुत कुछ सिखाया। मेरे अंदर के डर को बहुत हद तक दूर कर दिया। मुझे पता चला कि शारीरिक मज़बूती से भी कहीं ज्यादा ज़रूरी मानसिक मज़बूती है। अपने आप पर भरोसा और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई।  मुझे ये भी पता चला कि प्रकृति एक तरफ बहुत ही सुन्दर और अद्भुत है वही दूसरी ओर कदम कदम पर आपके धैर्य, आत्मविश्वास और अनुशासन की परीक्षा भी लेती रहती है।  भाग दौड़ की जिंदगी से दूर प्राकृतिक अँचलों में जाकर कुछ समय गुज़ारना बहुत ही अच्छा साबित हुआ।  ट्रैकिंग पर हम सबको जाना चाहिए ताकि हम कुदरत के साथ साथ खुद से भी रूबरू हो  सके और अपनी क्षमता  को परख सके।  पश्चिमी घाट में मानसून ट्रैकिंग से बेहतर जगह  शायद कोई हो नहीं सकता ये मेरा अपना मानना है।

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 कठिनाई स्तर  : आसान।  
 धैर्य स्तर  मध्यम। 
 ट्रैकिंग समय  लगभग 5 घंटे।
➝ अंधारबन ट्रैक पर कैसे पहुंचे मुंबई 144 और पुणे 57 किलोमीटर  कार द्वारा आसानी से बेस विलेज पिंपरी पहुंच सकते है। ट्रैन द्वारा मुंबई और पुणे से लोनावला के लिए ट्रैन ले सकते है।  लोनावला से पिंपरी गांव 6 किलोमीटर दूर है।  
 अंधारबन ट्रैक पर जाने सबसे अच्छा समय : जुलाई से अक्टूबर ( मानसून के बारिश के वक़्त )
➝ अंधारबन ट्रेक पर जाने में लगने वाला समय  : 1 दिन का
 अंधारबन ट्रेक पर ले जाने वाले अनिवार्य सामान  : ट्रैकिंग शूज, अतिरिक्त सूखे कपड़े , तौलिये , ग्लूकोज़ युक्त पानी की बोतल, कैमरा , मोबाइल को भीगने से बचाने के लिए प्लास्टिक कवर,  दर्द  निवारक  स्प्रे, स्नैक्स, फोटो आईडी।













Blogger Name: Pramod Kumar Kushwaha
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