केरल : ईश्वर का अपना देश

भारत के सुदूर दक्षिण में स्थित राज्य केरल एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है। इसे भगवान का अपना घर भी कहा जाता है। केरल अपने शानदार समुद्र तटों, मसालों की खेती, शानदार बैकवाटर, घने जंगलों, कथकली नृत्य, प्राचीन इमारतों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के कारण पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। जहाँ एक तरफ मुन्नार में चाय के शानदार बागान हैं वहीं दूसरी तरफ पेरियार के जंगल देखने योग्य हैं। केरल पर्यटन की दृष्टि से बहुत ज्यादा समृद्ध और संपूर्ण है। यह भारत में सबसे ज्यादा साक्षरता दर वाले राज्यों में से एक है। धार्मिक दृष्टि की बात की जाए तो यहाँ दो प्रमुख मंदिर सबरीमाला मंदिर और श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर से हम सभी परिचित हैं। केरल में आयुर्वेदिक पद्दति से उपचार के लिए भी देश विदेश से लोग यहाँ आते हैं। 

एडवेंचर के शौक़ीन लोग केरल के मुन्नार में जीप से ऑफ रोडिंग कर सकते हैं वही वागामोन में पैराग्लाइडिंग भी करने भी व्यवस्था है। मार्शल आर्ट्स के क्षेत्र में यहाँ का कलारीपयट्टु एक बेहद दर्शनीय युद्ध कला है। यहाँ के लोग फुटबॉल के बहुत बड़े दीवाने हैं। इस बात की पुष्टि यहाँ के घरों, खेतों, दीवारों तथा मैदानों में फुटबॉल के खिलाड़ियों के बड़े बड़े कट आउट तथा उनके देश के झंडों से पटे गलियां और सड़के भी करती हैं। केरल के इन सभी खूबियों को देखने के लिए हमारा भी यहाँ जाना हुआ। केरल की हमारी यात्रा का कोच्चि प्रवेश द्वार बना।  हम लोग हवाई मार्ग से कोच्चि पहुँचे। कोच्चि से हम लोग केरल के सबसे अच्छे हिल स्टेशन मुन्नार के लिए निकले। 

केरल यात्रा के दौरान मिले अपने अनुभवों को मैं अपने शब्दों में साझा करना चाहूँगा ताकि पाठकों को केरल के बारे में अच्छी जानकारी मिल सके।

मुन्नार
मुन्नार केरल का सबसे सुन्दर हिल स्टेशन है। यहाँ चाय के बहुत अच्छे बागान हैं। कोच्चि से मुन्नार जाने के रास्ते में दो प्रमुख वॉटरफॉल चीयाप्परा और वलारा वॉटरफॉल दिखता है। मुझे खासकर चीयाप्परा वॉटरफॉल बहुत अच्छा लगा। यह काफी ऊँचा वॉटरफॉल है। यहाँ हम लोग काफी देर तक रुके। आगे बढ़ने पर हम लोग एक मसाले के बगीचे को देखने के लिए गए। यहाँ बहुत प्रकार के मसालों जैसे काली मिर्च, लौंग, इलाइची, दालचीनी तथा जायफल इत्यादि के पेड़ पौधे देखने को मिले। यहाँ आयुर्वेदिक औषधियों के पौधे भी लगे हुए थे। 

मुन्नार में हम लोग दो दिन रुके। यहाँ एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान संकटग्रस्त वन्यजीव नीलगिरि तहर के लिए प्रसिद्ध है। नीलगिरि तहर देखने में बकरी की तरह होते हैं। यह दुर्गम पहाड़ी चट्टानों पर आसानी से चढ़ जाते हैं। एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान के चारों ओर चाय के बागान भी है। इस राष्ट्रीय उद्यान के गेट से स्पेशल बस के द्वारा उद्यान के अंदर जाया जाता है। मुन्नार में जीप के द्वारा ऑफ रोडिंग करने के भी अनेक स्थान है। अगर आप मुन्नार की खूबसूरती को अच्छे से देखना चाहते हैं तो जीप से ऑफ रोडिंग करने ज़रूर जाइये। यहाँ बहुत पुराना टाटा चाय म्यूजियम भी देखने योग्य जगह है। 

मुन्नार में शास्त्रीय नृत्य कथकली और प्रसिद्ध मार्शल आर्ट्स कलारीपयट्टु देखने के लिए भी अनेक केंद्र है। मुझे यह दोनों कार्यक्रम बहुत अच्छे लगे। मुन्नार में हम लोगों ने चॉकलेट की फैक्ट्री में चॉकलेट बनते देखा। मुन्नार में हम लोग दो दिन रुके। मुन्नार से थेक्कडी जाने के रास्ते में चाय के सुन्दर बागान में रुके। यह चाय का बागान केरल का सबसे अच्छा बागान है। एक तरफ ऊँचे पहाड़ और दूसरी ओर चाय के सुंदर बागान। वाह क्या दृश्य था।  हम लोग यहाँ बहुत देर तक रुके रहे। काफी अच्छा समय बिताने के बाद हम लोग अपने अगले गंतव्य थेक्कडी की ओर निकल पड़े। 

थेक्कडी 
थेक्कडी अपने वाइल्डलाइफ से सम्बंधित पर्यटन के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थित है पेरियार राष्ट्रीय उद्यान जिसे पेरियार टाइगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है। यह बाघों और हाथियों के लिए प्रसिद्ध है। पेरियार राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पेरियार झील है जहाँ बड़े से नाव पर बैठ कर जंगल की सैर की जाती है। इस झील तक जाने के लिए उद्यान के गेट से स्पेशल बस मिलती है। ये झील बहुत बड़ी है और अक्सर झील के किनारे पानी पीते वन्यजीव आसानी से देखे जा सकते हैं। मुझे इस झील के अंदर सूखे पेड़ों पर गिद्धों के घोसले देखना अच्छा लगा। 

थेक्कडी में जीप द्वारा पेरियार टाइगर रिज़र्व में जंगल सफारी भी किया जाता है। यहाँ जंगल के अंदर स्थित स्थान गावी तक की जीप सफारी करना बेहद अच्छा लगा। गावी जाने के रास्ते में हमें विभिन्न प्रकार के वन्य जीव जैसे भौकने वाले हिरण, जंगली सूअर, गौर यानि भारतीय बाइसन, अलग अलग किस्मों के बंदर, सांबर हिरण इत्यादि दिखे। गावी में बहुत सुंदर गेस्ट हाउस है। यहाँ हम लोगों ने एक छोटा ट्रैक भी किया। ट्रैक करके हम लोग एक पहाड़ के ऊपर पहुँचे जहाँ से दूसरे पहाड़ के ऊपर हाथियों का एक झुंड नज़र आया। गावी में एक झील है जहाँ बोटिंग भी होता है। बोटिंग करके अंदर जंगल में एक बहुत अच्छा झरना देखने लोग जाते हैं।

थेक्कडी में मसालों के बगीचे में हाथी की सवारी करने का अनुभव भी बहुत अच्छा रहा। यहाँ हम लोग 2 दिन रुकने के बाद अपने केरल यात्रा के अगले पड़ाव वागामोन की तरह निकल गए।
 
वागामोन 
वागामोन केरल का एक अन्य घूमने लायक हिल स्टेशन है। यह स्थान पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध है। पहले वागामोन उतना प्रसिद्ध नहीं था लेकिन अब यह स्थान भी धीरे धीरे पयर्टकों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। यहाँ एक एडवेंचर पार्क भी है। वागामोन मीडोज में कयाकिंग, जिपलाइन और स्काई साइकिलिंग करना बहुत अच्छा लगा। यहाँ के पाइन फारेस्ट भी देखने योग्य स्थानों में से एक हैं। वागामोन में भी चाय के अच्छे बागान हैं। इसके अलावा यहाँ भी जीप से ऑफ रोडिंग ट्रिप किया जाता है।

आलाप्पुड़ा या अलेप्पी 
केरल यात्रा का हमारा अगला पड़ाव अलेप्पी था। वागामोन से अलेप्पी के रास्ते में अन्नानास के खेत, रबर प्लांट और चॉकलेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कोको के पेड़ हमें देखने को मिले। अलेप्पी का बैकवाटर पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अलेप्पी में हाउस बोट में रहने और घूमने का अपना अलग ही मज़ा है। बैकवाटर से अलेप्पी के सुंदर गाँव, नारियल के पेड़ों से घिरे हरे भरे खेत और कस्बे देखने में बहुत अच्छे लगे। सारे सुविधाओं से लैस हाउस बोट देखने में बहुत शानदार लगते हैं। हमें अलेप्पी के बैकवाटर में हाउस बोट से घूमना और इसमें ठहरना बहुत अच्छा लगा।

अलेप्पी में एक रात रुकने के बाद हम लोग वापस कोच्चि के लिए प्रस्थान करने लगे। अलेप्पी से कोच्चि  के रास्ते में मरारी बीच है जो बहुत सुंदर और साफ़ सुथरा बीच है। कुछ समय यहाँ बिताने के बाद थोड़ा आगे बढ़ने पर एक बहुत ही सुंदर मरारीकुलम शिव मंदिर है। यहाँ का वातावरण बहुत ही शांत और अद्भुत था। मंदिर में भगवन के दर्शन और पूजन के बाद हम लोग कोच्चि की ओर बढ़ने लगे ।

कोच्चि
कोच्चि का पुराना नाम कोचीन था। यह केरल का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर है।  यहाँ का एयरपोर्ट काफी आकर्षक है। यह एयरपोर्ट भारत का पहला शत प्रतिशत सौर ऊर्जा से संचालित एयरपोर्ट है। कोच्चि के समुद्री तटों पर मछली पकड़ने के लिए चीनी फिशिंग नेट्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसे देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। कोच्चि में भारत की सबसे बड़ी जहाज निर्माण एवं रखरखाव की सुविधा प्रदान करने वाली कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड कंपनी स्थित है। यहाँ भारतीय नौसेना के दक्षिणी कमान का मुख्यालय भी है। कोच्चि में हम लोग बैसिलिका चर्च, डच पैलेस और मरीन ड्राइव भी देखने के लिए गए। कोच्चि घूमने के बाद हम लोग एयरपोर्ट पहुँचे जहाँ से वापसी की हमारी फ्लाइट थी।

केरल की हमारी यात्रा बहुत यादगार रही। यह इतना सुन्दर है की वास्तव में यह ईश्वर का अपना देश लगता है। हम लोग केरल के कुछ अन्य लोकप्रिय स्थानों पर नहीं जा पाए। लेकिन अपने अगले यात्रा में केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम, यहाँ के खूबसूरत बीच और वायनाड के पहाड़ों को घूमने की इच्छा है। मैंने ऊपर घूमे गए स्थानों के बारे में अलग अलग ब्लॉग लिखे है जिसमें आप विस्तार से इन स्थानों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपको जब भी मौका मिले आप ईश्वर के अपने देश केरल जरूर जाइये।

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केरल में ये करना ना भूलें  : मुन्नार में चाय के बागान देखना, थेक्कडी में जंगल सफारी, चॉकलेट फैक्ट्री देखना , अलेप्पी में हाउस बोट में ठहरना, मसालों की शॉपिंग, फोटोग्राफी।  
केरल कैसे पहुँचे  : केरल में कोच्चि या तिरुवनंतपुरम मुख्य हवाई अड्डे हैं। बेहतर होगा आप कोच्चि के रास्ते केरल जाइये। वहाँ से मुन्नार और थेक्कडी जाना ज्यादा आसान है। सड़कमार्ग से भी केरल जाना अच्छा विकल्प है। केरल रेलमार्ग से भी अच्छे से जुड़ा है। कोच्चि के पास के रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम के लिए देश के हर कोने से ट्रैन आसानी से मिल जाती है। 
केरल जाने सबसे अच्छा समय : मॉनसून के बाद अक्टूबर से मार्च तक समय केरल घूमने के लिए सबसे अच्छा है। 
केरल जाने में लगने वाला समय  : कम से कम 7 दिन / 6 रात। 

























































Information Source: Wikipedia, Local Newspapers etc., Articles on the subject
Photos By: Pramod Kumar Kushwaha, Sanju Kushwaha & Kanchan Kushwaha
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