लेह : पहाड़ी तलहटी में बसा एक खूबसूरत शहर( Trip to Leh City - Hindi Blog)

केंद्र शासित प्रदेश(Union Territory of India) लद्दाख(Ladakh) की राजधानी लेह(Leh) पहाड़ों की तलहटी में बसा एक सुन्दर शहर है। यह सिंधु नदी(Indus River) के किनारे स्थित है। कराकोरम पर्वतमाला(Karakoram Range) और हिमालय पर्वतमाला(Himalaya Range) के बीच लेह(Leh) शहर हमेशा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। हम लोग श्रीनगर(Srinagar) से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 1(NH - 1) के बेहतरीन रास्तों से होकर लेह(Leh) पहुँचे थे। लेह(Leh) आने का दूसरा लोकप्रिय रास्ता हिमाचल प्रदेश(Himachal Pradesh) के शहर मनाली(Manali) से शुरु होता है। लेह(Leh) में हवाई अड्डा(Airport) होने की वजह से विमान द्वारा सीधे यहाँ आ सकते है। 

लेह(Leh) एक बौद्ध बहुल शहर है जो प्राचीन समय से तिब्बत(Tibbet) और मध्य एशिया(Middle Asia) के क्षेत्रों से व्यापार का प्रमुख केंद्र था। लेह(Leh) शहर और इसके आस पास घूमने के बहुत सारे स्थान है। हम लोग लेह(Leh) में दो दिन रुके थे। यहाँ के सभी दर्शनीय स्थलों को देखना बहुत अच्छा लगा। लेह(Leh) के ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में जानकारी साझा कर रहा हूँ -

थिकसे मठ(Thiksey Monastery)
थिकसे मठ(Thiksey Monastery) तिब्बती शैली(Tibbet Style) का एक बहुत सुन्दर बौद्ध मठ है। लेह(Leh) से 19 किलोमीटर दूर स्थित थिकसे मठ(Thiksey Monastery) का माहौल बहुत शांतिपूर्ण था। 12 मंज़िले इस मठ(Monastery) में मैत्रय बुद्ध की 50 फीट ऊँची बेहद आकर्षक और भव्य मूर्ति स्थापित है। यहाँ प्राचीन वस्तुएं जैसे थांगका(Old Buddhist Painting), तलवारें और बौद्ध धर्म से सम्बंधित बहुत सारे छोटी मूर्तियाँ भी रखी गई हैं। यहाँ का प्रार्थना हॉल बहुत आध्यात्मिक वातावरण वाला था। चारों ओर तिब्बती और बौद्ध धर्म से सम्बंधित देवताओं और गुरुओं की विशाल मूर्तियां थी जिनके चेहरे कपड़ों से ढके हुए थे। पूछने पर पता चला कि वर्ष में एक बार खास त्यौहार के मौके पर ही इन मूर्तियों के चेहरों से कपड़े को हटाया जाता है। मठ(Monastery) के छत लकड़ी से बने होने से अंदर का तापमान बहुत अच्छा था। थिकसे मठ(Thiksey Monastery) का मुख्य द्वार भी बहुत अच्छा लगा। मठ(Monastery) के प्रांगण(Premises) में एक बड़ा सा बेलनाकार घूमने वाला प्रार्थना यंत्र(Spinning Prayer Wheel) भी लगा है जिसे स्थानीय भाषा में मानी(Mani) कहा जाता है। ऐसी मान्यता है की इस यंत्र को घुमाने से सभी पाप(Sins) खत्म हो जाते है। थिकसे मठ(Thiksey Monastery) में सभी लोग मानी(Mani) घुमाकर अपने पाप(Sins) कम कर रहे थे। 

ड्रक वाइट लोटस स्कूल(Druk White Lotus School)
यह स्कूल बॉलीवुड की फिल्म 3 इडियट्स(3 Idiots) में दिखाए जाने के कारण बहुत लोकप्रिय हुआ। इसी कारण लेह(Leh) आने वाले लोग ड्रक वाइट लोटस स्कूल(Druk White Lotus School) घूमने  ज़रूर आते हैं। इस स्कूल का प्रांगण(Premises) बहुत बड़ा है। ड्रक वाइट लोटस स्कूल(Druk White Lotus School) की मुख्य इमारत देखने में बौद्ध मठ की तरह है। हम लोग इस स्कूल के प्रांगण(Premises) में घूम कर फिल्म 3 इडियट्स(3 Idiots) के दृश्यों के बारे में बाते कर रहे थे। यहाँ एक दिवार(Wall) भी है जो इस फिल्म में बहुत प्रसिद्ध हुआ था। हम लोगों ने यहाँ यादगार के लिए बहुत सारे फोटो खींचे। 

हॉल ऑफ़ फेम (Hall of Fame)
लेह(Leh) शहर में हवाई अड्डे के बिलकुल पास ही हॉल ऑफ़ फेम(Hall of Fame) बनाया गया है। यह भारतीय सेना(Indian Army) के शौर्य और लद्दाख की संस्कृति को समर्पित है। हॉल ऑफ़ फेम(Hall of Fame) के परिसर के बाहर आर्मी के टैंक, हेलीकाप्टर और लड़ाकू विमानों के मॉडल रखे गए हैं। हॉल ऑफ़ फेम(Hall of Fame) परिसर के अंदर एक बड़ा सा गैलरी है। इस गैलरी के एक हिस्से में लद्दाख(Ladakh) के संस्कृति, पहनावा, त्यौहार, रीति-रिवाज़ों तथा खान पान के बारे में तस्वीरों की सहायता से बहुत अच्छे और विस्तार से दर्शाया गया है। इससे हमें लद्दाख(Ladakh)  के इतिहास और अन्य रोचक जानकारियाँ मिली। 

हॉल ऑफ़ फेम(Hall of Fame) का दूसरा हिस्सा भारतीय सेना(Indian Army) के सियाचिन(Siachen), कारगिल(Kargil) तथा लद्दाख के अन्य भागों के सैन्य उपलब्धियों को दर्शाता है। गैलरी में चित्रों और लेखों के माध्यम से सेना के वीरों की गाथाएँ पढ़कर बहुत गर्व का अनुभव हुआ। इस गैलरी में सेना के हथियार, सैन्य उपकरण, सियाचिन में पहने वाले विशेष कपड़े, सैन्य अभियानों के चित्र, युद्ध में बरामद पाकिस्तान के सैनिकों के सामान तथा लद्दाख के दुर्गम पहाड़ों के मॉडल रखे हुए हैं। हॉल ऑफ़ फेम(Hall of Fame) के परिसर के पीछे एक बहुत बड़े मैदान में वॉर मेमोरियल(War Memorial) बनाया गया है जहाँ युद्ध में शहीद हुए जवानों के नाम लिखे हुए हैं। लेह(Leh) आने पर हॉल ऑफ़ फेम(Hall of Fame) जाना मत भूलिए। 

स्पितुक मठ(Spituk Monastery)
स्पितुक मठ(Spituk Monastery) लेह(Leh) शहर के बिलकुल सामने की पहाड़ी पर स्थित है। 11वीं शताब्दी में निर्मित यह एक तिब्बती बौद्ध मठ है। इस मठ(Monastery) से एक ओर सिंधु नदी(Indus River) बहती दिखाई देती है वहीं दूसरी ओर लेह(Leh) शहर का दृश्य मनमोहक लगता है। लेह हवाई अड्डे(Leh Airport) की लकीरनुमा हवाई पट्टी का नज़ारा भी यहाँ से नज़र आता है। स्पितुक मठ(Spituk Monastery) में लाइन से छोटे स्तूप बने हुए थे। मठ(Monastery) के बाहर एक बहुत बड़ा और आकर्षक घूमने वाला प्रार्थना यंत्र(Spinning Prayer Wheel) मानी(Mani) लगा हुआ है। इस मठ(Monastery) भगवान बुद्ध के साथ हिन्दू देवी माँ काली की भी मूर्ति स्थापित है। इस मूर्तियों के चेहरे भी ढके हुए थे जो सालाना उत्सव के अवसर पर ही हटाए जाते हैं। हम लोग स्पितुक मठ(Spituk Monastery) के प्रार्थना हॉल में बुद्ध की प्रतिमा के सामने बहुत देर तक ध्यान लगाकर बैठे रहे। स्पीकर पर कुछ बौद्ध मंत्रों का उच्चारण हो रहा था जो मन को बहुत सुकून दे रहा था। 

सिंधु नदी और जांस्कर नदी का संगम (Sangam of Indus River & Zanskar River)
लेह(Leh) से 35 किलोमीटर दूर संगम में लद्दाख(Ladakh) की दो प्रमुख नदियों सिंधु नदी(Indus River) और जांस्कर नदी(Zanskar River) का मिलन होता है। ऊँचे पहाड़ों के घाटी में इन दो नदियों को मिलते देखना बहुत सुखद अनुभव था। इस संगम स्थान पर रिवर राफ्टिंग(River Rafting) भी होता है और यह पॉइंट दुनिया का सबसे ऊँचा रिवर राफ्टिंग पॉइंट है। यहाँ हवा बहुत अच्छा चल रहा था। यहाँ पर एक रेस्टोरेंट भी है जहाँ आप जलपान कर सकते हैं। हम लोग बहुत देर तक इस संगम के पास बने बेंच पर बैठकर सिंधु नदी(Indus River) और जांस्कर नदी(Zanskar River) के लहरों को आपस में मिलते देख रहे थे। 

मैगनेटिक हिल (Magnetic Hill)
लेह(Leh) से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 1(NH - 1) पर लगभग 27 किलोमीटर दूर मैग्नेटिक हिल्स(Magnetic Hills) है।  यह एक प्रसिद्ध और दिलचस्प स्थान है जो सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। यहाँ सीधे रास्ते ऐसे नज़र आते है जैसे आगे की तरफ बढ़ते हुए ऊँचे हो रहे हैं लेकिन वास्तव में वो नीचे की ओर ढलान वाले होते हैं। इसलिए इस स्थान पर ऐसा लगता है जैसे कार अपने आप न्यूट्रल में नीचे से ऊपर ज्यादा ऊँचाई की ओर बढ़ रहा हो। इसे ही लोग चुंबकत्व का प्रभाव(Magnetic Effect) मानते हैं जिसके कारण इस स्थान को मैग्नेटिक हिल्स(Magnetic Hills) के नाम से जाना जाता है। 

गुरुद्वारा पत्थर साहेब (Gurudwara Pathar Sahib)
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 1(NH - 1) पर लेह(Leh) के पास गुरुद्वारा पत्थर साहिब(Gurudwara Pathar Sahib) है। इस गुरुद्वारे का रखरखाव भारतीय सेना(Indian Army) करती है। गुरुद्वारा पत्थर साहिब(Gurudwara Pathar Sahib) की कहानी बहुत रोचक है। कहानी यूँ है कि जब गुरु नानक देव जी वर्ष 1517 ईस्वी में लेह(Leh) आये थे तो यहाँ के लोगों ने उन्हें पास की पहाड़ी पर रहने वाले एक राक्षस के बारे में बताया। यह राक्षस लोगों पर बहुत अत्याचार करता था। गुरु जी को यहाँ पहाड़ों के नीचे ध्यान करते देख राक्षस बहुत क्रोधित होकर एक बड़ा से पत्थर उनके ऊपर फेक दिया। लेकिन पत्थर जैसे ही गुरु नानक देव जी को लगी यह मोम की तरह नरम होकर उनके शरीर में धंस गया। गुरु जी के ऊपर पत्थर का कोई असर न देख कर राक्षस एक बार फिरसे गुस्से में पत्थर पर पैर मारा जिससे उसका पैर पत्थर में धंस गया। यह देख कर राक्षस समझ गया की वह एक बहुत बड़े भगवान के भक्त को मारने की कोशिश की है और गुरु जी चरणों में लेट गया। गुरु नानक देव जी ने राक्षस को उपदेश दिया कि अब बाकी उम्र लोगों की सेवा में गुज़ारों और फिर वह लेह(Leh) से कारगिल(Kargil) होते हुए कश्मीर(Kashmir) चले गए। 
मुझे गुरुद्वारा पत्थर साहिब(Gurudwara Pathar Sahib) में जाना बहुत अच्छा लगा। गुरु ग्रन्थ साहिब को मत्था टेकने के बाद हम लोग उस पत्थर के पास गए जिसका वर्णन मैंने ऊपर की कहानी में किया है। गुरुद्वारे का स्वादिष्ट प्रसाद खाने के बाद हम लोगों ने उस पहाड़ी को भी देखा जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 1(NH - 1) के दूसरी ओर था जहाँ से राक्षस पत्थर फेका था। उस पहाड़ पर सीढ़ियों से चलकर ऊपर तक जा सकते हैं। यहाँ जरुर घूमने जाइये। 

शांति स्तूप (Shanti Stupa)
लेह(Leh) का शांति स्तूप(Shanti Stupa) एक बहुत सुन्दर स्तूप है। यहाँ कार से जाया जा सकता है। पैदल आने वाले लोगों के लिए मुख्य रास्ते से ऊपर स्तूप तक सीढियाँ भी बनी है। शांति स्तूप(Shanti Stupa) को बौद्ध धर्म के 2500 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में बनाया गया था। यह एक सफेद रंग की गुम्बदाकार इमारत है जिसके ऊपर जाने के लिए घुमावदार सीढियाँ बने हुए हैं। स्तूप के बाहरी दीवारों पर भगवान बौद्ध के जीवन दर्शन को आकर्षक चित्रों से उकेरा गया है। सामने की ओर भगवान बुद्ध की सुनहरे रंग की मूर्ति स्थापित है। शांति स्तूप(Shanti Stupa) देखने में बहुत भव्य नजर आता है। स्तूप के आसपास बहुत खुला स्थान है जहाँ बैठकर स्तूप को और नीचे की घाटी में लेह(Leh) शहर के सुन्दर नज़ारे को देख सकते हैं। हम सभी लोगों को शांति स्तूप(Shanti Stupa) देखकर प्रसन्नता हुई। बहुत देर तक हम यहाँ स्तूप के चारों ओर टहलते रहे। 

लेह बाजार (Leh Local Market)
हमारी लेह(Leh) यात्रा के आखिरी दिन शाम को हम लोग लेह का बाजार(Leh Market) घूमने गए। मुझे लेह बाजार(Leh Market) घूमना बहुत अच्छा लगा। यहाँ के तिब्बत मार्किट में स्थानीय लोगों द्वारा बनाये गए आभूषण(Local Jewellary), घर के सजावट के सामान(Show Pieces), ऊनी कपड़े(Warm Cloths), बौद्ध धर्म से सम्बंधित मूर्तियाँ और झंडे(Buddhist Flags & Idols), और यादगार के लिए ले जाए जाने वाली वस्तुएँ(Souvenir) मिलते हैं।  हम लोगों ने भी अपनी लेह लद्दाख(Leh Ladakh) की यात्रा के यादगार के लिए कुछ वस्तुओं की खरीदारी किया। लेह का बाजार(Leh Market) बहुत खुले स्थान पर बनाया गया है। बाजार के ऊपर रंग बिरंगी तिब्बती झंडों की कतारों से सजाये जाने से यह बहुत अच्छा दिख रहा था। यहाँ के रेस्टोरेंट में हम लोगों ने स्वादिष्ठ मोमोज़(Momos) खाये। संगीत के स्वर में लेह के बाजार(Leh Market) की रौनक देखने लायक था। अगर आप लेह(Leh) घूमने गए हैं तो शाम को लेह के बाजार(Leh Market) घूमने ज़रूर जाइये। 

लेह(Leh) में बिताया एक एक पल बहुत कीमती था। हमें लेह शहर में बहुत कुछ देखने को मिला। यहाँ के सभी दर्शनीय स्थल अपने आप में बहुत ख़ास हैं। यहाँ की संस्कृति में कुछ समय गुज़ारना एक प्रकार से सुखद अनुभव देने वाला था। हम लोग अपने आप को बहुत भाग्यशाली मान रहे थे कि हमें लद्दाख आने और यहाँ के संस्कृति और स्थानों को देखने का मौका मिला। लेह(Leh) शहर एक जीवंत और देखने योग्य शहर है जहाँ घूमने जाना सौभाग्य की बात है। 
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लेह में ये करना ना भूलें  : हॉल ऑफ़ फेम देखना, विभिन्न मोनेस्टरी को देखना,  लेह के लोकल मार्केट में शॉपिंग, शांति स्तूप घूमना, फोटोग्राफी।  
लेह कैसे पहुँचे  : निकटतम हवाई अड्डा लद्दाख की राजधानी लेह में है। सड़कमार्ग से लेह पहुँचने के दो रास्ते हैं। श्रीनगर से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 1(NH-1) से लेह आ सकते हैं। दूसरा रास्ता मनाली से लेह आने का है। दोनों ही रास्ते बहुत सुन्दर और रोमांच से भरपूर हैं। लेह अभी रेलमार्ग से नहीं जुड़ा हुआ हैं।   
लेह जाने सबसे अच्छा समय : लेह घूमने का सबसे अच्छा समय गर्मियों में अप्रैल से जुलाई तक का हैं। 
लेह जाने में लगने वाला समय  : 2  दिन / 1 रात












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