अजंता और एलोरा की गुफाओं का रहस्य (Trip to Ajanta & Ellora Caves - Hindi Blog)

अजंता और एलोरा की गुफाएँ(Ajanta & Ellora Caves) महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं। अजंता(Ajanta) और एलोरा(Ellora) दो अलग अलग स्थान हैं जो एक दूसरे से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर हैं।  ईसा पूर्व 200 से लेकर 1000 ईसवी के मध्य निर्मित ये गुफाएँ पहाड़ों को काटकर बनाई गयी हैं। अजंता जहाँ चित्रकारी(Painting) और मूर्तिकला(Sculpture) के लिए प्रसिद्ध है वहीं एलोरा मूर्तिकला(Sculpture) के लिए।  इतिहास और कला में रूचि रखने वाले लोगों के लिए यह बहुत ही अच्छा स्थान है। अजंता की गुफाएँ(Ajanta Caves) जहाँ बौद्ध धर्म(Buddhism) से सम्बंधित है वहीं एलोरा की गुफाएँ(Ellora Caves) हिन्दू(Hinduism), बौद्ध(Buddhism) और जैन(Jain) धर्म से।  

कालांतर में कुछ शताब्दी तक अजंता आम लोगों की नज़रों से दूर हो गया था और इन गुफाओं में मिट्टी और पानी भर जाने के कारण किसी को इस क्षेत्र की जानकारी नहीं थी।  आधुनिक काल में ब्रिटिश अधिकारी जॉन स्मिथ वर्ष 1819 इस स्थान की खोज की थी।  वह अपने साथियों के साथ एक आदमखोर बाघ का शिकार करने यहाँ के जंगलों  में आये थे।  उन्होंने यहाँ गुफाओं की श्रृंखलाएँ और स्तंभ देखा।  बाद में इस स्थान की खुदाई में यहाँ की ऐतिहासिक विरासत का पता चला।  हम लोग पुणे से औरंगाबाद यहाँ घूमने के लिए गए थे जिसका पूरा विवरण कुछ इस प्रकार से है :

 अजंता की गुफाएँ  (Ajanta Caves)
औरंगाबाद से 106 किलोमीटर दूर स्थित अजंता की गुफाएँ(Ajanta Caves) यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) है।  घोड़े के नाल (Horse Shoe) के आकार के पहाड़ को काटकर 29 गुफाओं का निर्माण किया गया है।  यह मुख्य रूप से बौद्ध धर्म को समर्पित हैं।  इन गुफाओं का निर्माण दो चरणों में किया गया जिसमें पहले चरण की गुफाओं को 200 वर्ष ईसा पूर्व में 'सातवाहन' शासकों द्वारा बनाया गया।  दूसरे चरण का निर्माण काल 480 ईसवी के आसपास 'वाकाटक' शासकों द्वारा हुआ। भगवान बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं को चित्रकारी और मूर्तिकला के द्वारा बहुत ही सुंदरता के साथ दर्शाया गया है।  इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के दोनों प्रमुख संप्रदाय 'हीनयान' और 'महायान' के मतों को प्रदर्शित किया गया हैं।  

अजंता की गुफाओं(Ajanta Caves) की अद्भुत चित्रकला सबको मंत्रमुग्ध कर देती है।  इन गुफाओं की जानकारी चीनी यात्रियों 'फाहियान'(Fa Hien) जो कि चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल (380 से 415 ईसवी) में तथा 'ह्वेंग त्सांग' जो हर्षवर्धन के शासनकाल (606 से 647 ईसवी) के यात्रा वृतांतों में विस्तार से मिलता है।  इन गुफाओं में बौद्ध मठ के साथ साथ प्रार्थना स्थल भी हैं।  पास में ही वाघोरी नदी बहती हैं।  यहाँ का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता ध्यान और प्रार्थना के लिए बहुत ही अनुकूल है।  चूँकि यह एक ऐतिहासिक स्थान है इसलिए गाइड लेना ना भूलें जो यहाँ आसानी से सभी भाषाओं के लिए मिल जाते हैं।  

 एलोरा की गुफाएँ  (Ellora Caves)
औरंगाबाद से 29 किलोमीटर दूर एलोरा की गुफाएँ(Ellora Caves) 34 गुफाओं का एक समूह है।  इन गुफाओं में 17 हिंदू धर्म को, 12 बौद्ध धर्म और 5 जैन धर्म को समर्पित हैं। इन तीन धर्मों के अद्भुत मिश्रण से उस समय के शासनकाल के सांप्रदायिक सौहार्द और सहिष्णुता की झलक मिलती है।  यह स्थान भी यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) है। इनका निर्माण काल 600 से 1000 ईसवी के मध्य है। एलोरा की सभी गुफाओं(Ellora Caves) का निर्माण 'राष्ट्रकूट' शासकों ने करवाया था।  एलोरा के इन गुफाओं से कला और तकनीक की उत्कृष्टता से हम रूबरू होते हैं।  

एलोरा का मुख्य आकर्षण है यहाँ निर्मित कैलाश मंदिर(Kailash Tmple)। भगवान शिव को समर्पित कैलाश मंदिर को एकल पत्थर (Single Rock) को तराश कर बनाया गया है। एकल पत्थर के निर्माण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसको ऊपर से नीचे(Top to Bottom) की ओर बनाया जाता है।  यानी सबसे पहले गुंबद और उसके बाद क्रमशः नीचे के भाग का निर्माण होता है।  यह बेहद ही सुन्दर और विशाल मंदिर है जिसे देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं।  एलोरा के गुफाएँ(Ellora Caves) भारतीय सभ्यता के गौरवशाली इतिहास का जीता जागता प्रमाण है।  यहाँ भी गाइड लेना ना भूलिए।  

 घृणेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और बीबी का मक़बरा (Ghrineshwar Temple & Bibi Ka Makbara)
औरंगाबाद में घूमने के लिए अन्य स्थानों में घृणेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर(Ghrineshwar Temple) है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर पुरुषों को कमर के ऊपर के सभी वस्त्रों को निकाल कर अंदर में प्रवेश करना होता है। यह मंदिर बहुत ही शांत और सादगी भरा है। औरगांबाद में 'बीबी का मकबरा'(Bibi Ka Makbara) भी है जो आगरा के ताजमहल सा दिखता है। इसके गुम्बद का निर्माण संगमरमर से किया गया है। इसे मुग़ल शासक औरंगज़ेब की पत्नी की याद में औरंगज़ेब के पुत्र आज़म शाह ने बनवाया था।  

अजंता और एलोरा की गुफाओं(Ajanta & Ellora Caves) में कुछ ख़ास बात है जो यहाँ आकर ही अनुभव कर सकते हैं।  इन रहस्यमयीं गुफाओं में प्राचीन भारत की कला कुशलता से हम परिचित तो होते ही हैं साथ ही साथ हम यहाँ के वातावरण में अतीत के गौरवपूर्ण शासन के पदचिन्हों को अनुभव करने लगते है। अजंता और एलोरा में आना आपके लिए एक बहुत ही अच्छा अनुभव होगा।  यहाँ अपने पूरे परिवार या दोस्तों के साथ ज़रूर जाइये।  

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अजंता/एलोरा में ये करना ना भूलें एलोरा का कैलाश मंदिर देखना, गाइड लेना, फोटोग्राफी।
अजंता/एलोरा कैसे पहुँचे : औरंगाबाद में हवाई अड्डा हैं।  यहाँ के लिए मुंबई पुणे से विमान आसानी से मिल जाते है। नज़दीकी रेलवे स्टेशन जलगांव लगभग 59 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग द्वारा मुंबई, पुणे, नागपुर इत्यादि स्थानों से कार, टैक्सी और बस  से आसानी से औरंगाबाद पहुँच सकते हैं।   
अजंता/एलोरा जाने सबसे अच्छा समय : अजंता/एलोरा जाने के लिए सबसे अच्छा समय जून से फरवरी तक का है। गर्मियों में यहाँ ना जाए क्योंकि यहाँ के चट्टान बहुत गर्म हो जाते है।
अजंता/एलोरा जाने में लगने वाला समय :   2 दिन / 1 रात














































Video Link Below 

1. Ajanta Caves 
2. Kailash Temple, Ellora
3. Waterfall Near Ajanta Caves



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