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मल्हारगढ़ - मराठा शासन द्वारा निर्मित आखिरी किला (Trip to Malhargarh Fort - Pune)

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पुणे(Pune) में सासवड(Saswad) के पास स्थित मल्हारगढ़ किला(Malhargarh Fort) घूमने के लिए एक अच्छी जगह है। पुणे शहर के केंद्र से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण यह एक दिन में आसानी से घूमा जा सकता है। वर्ष 1757 से 1760 ईस्वी के मध्य में निर्मित मल्हारगढ़ किला(Malhargarh Fort) मराठों(Maratha Empire) द्वारा बनाया गया आखिरी किला है। यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही प्राकृतिक रूप से भी देखने योग्य है। इस किले से सह्याद्रि के पहाड़ों(Sahyadri Hills)  में स्थित दिवे घाट की निगरानी की जाती थी। सोनोरी गाँव(Sonori Village) के निकट होने के कारण मल्हारगढ़ किले को सोनोरी किले(Sonori Fort) के नाम से भी जाना जाता है।  मल्हारगढ़ किले(Malhargarh Fort) में दो द्वार हैं। मुख्य द्वार महा दरवाज़ा के नाम से जाना जाता है तो दूसरा द्वार चोर दरवाज़ा के नाम से प्रसिद्ध है। तिकोने आकार के पहाड़ पर बने इस किले में दो मंदिर हैं। एक मंदिर भगवान मल्हार अर्थात शिव को समर्पित है तो दूसरा मंदिर भगवान खंडोबा का है। मल्हारगढ़ किले(Malhargarh Fort) में पानी के भण्डारण के लिए एक छोटा सा तालाब बनाया गया ह

पुरंदर किला : छत्रपति संभाजी महाराज की जन्मभूमि(Trip to Purandar Fort)

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महाराष्ट्र में पुणे(Pune) से 40 किलोमीटर दूर पश्चिमी घाट(Western Ghats) की पहाड़ियों में स्थित पुरंदर किला(Purandar Fort) ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण किला है। यह किला अभी भारतीय सेना(Indian Army) के नियंत्रण में है जहाँ भारतीय सैनिकों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील होने की वजह से ज्यादातर स्थानों पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने पर प्रतिबंध है। अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है की पुरंदर किले(Purandar Fort) का महत्व बहुत ज्यादा था। इस किले का निर्माण 11वीं  शताब्दी में यादव वंश(Yadav Dynasty) के शासकों ने करवाया था। कालांतर में यह किला पर्शियन राजाओं(Persian Kings) के कब्ज़े में चला गया। उसके बाद इस किले पर अहमदनगर और बीजापुर के शासन के अधीन रहा।  वर्ष 1646 ईसवी में कम आयु में ही छत्रपति शिवाजी(Chatrapati Shivaji) ने इस किले को जीत लिया। वर्ष 1657 ईसवी में छत्रपति शिवाजी(Chatrapati Shivaji) के पुत्र संभाजी महाराज(Sambhaji Maharaj) का जन्म इसी पुरंदर के किले(Purandar Fort) में हुआ। इस किले पर औरंगजेब की नज़र थी और उसने अपने से