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कानिफनाथ : पुणे के पहाड़ों में बसा सुंदर मंदिर (Trekking to Kanifnath Temple Pune)

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पुणे(Pune) में सासवड(Saswad) के पहाड़ों के मध्य बोपगाँव(Bopgaon) में बसा कानिफनाथ मंदिर(Kanifnath Temple) नवनाथ संप्रदाय के नौ महायोगियों में से एक संत कानिफनाथ(Saint Kanifnath) को समर्पित है। संत कानिफनाथ के अलावा यहाँ भगवान गणेश, विट्ठल रुक्मिणी, हनुमान जी के साथ साथ अनेकों देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं। कानिफनाथ मंदिर(Kanifnath Temple) में नवनाथ संप्रदाय के नौ महायोगियों की मूर्तियों की भी स्थापना की गयी है। इस मंदिर का संपूर्ण प्रांगण(Premises) बहुत अच्छा है। पहाड़ के ऊपर मंदिर तक कार या मोटरबाइक से आसानी से जाया जा सकता है लेकिन यहाँ जाने वाले ज्यादातर लोग ट्रैकिंग(Trekking) करके यहाँ जाना पसंद करते हैं। पुणे सासवड रोड की ओर से कानिफनाथ मंदिर(Kanifnath Temple) की यह ट्रैकिंग एक तरफ से 40 - 45 मिनट का है। यह छोटा लेकिन खड़ी चढ़ाई वाला बहुत ही अच्छा ट्रैकिंग मार्ग है जहाँ से प्राकृतिक दृश्य बहुत अच्छे दिखते हैं। पुणे शहर का सुंदर नज़ारा भी इस मंदिर से अच्छा दिखता है। यहाँ हरे भरे पहाड़ों में अक्सर हिरण(Deer) भी देखे जाते हैं।  ऐसी मान्यता है कि संत कानिफनाथ का जन्म हाथी की कान से हुआ

रतनगढ़ किला ट्रैक : सह्याद्रि के पहाड़ों का आभूषण (Trekking to Ratangarh Fort)

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रतनगढ़ किला(Ratangarh Fort) महाराष्ट्र के अहमदनगर(Ahmadnagar) जिले में स्थित है। पुणे से 180 किलोमीटर दूर यह किला भंडारदारा झील(Bhandardara Lake) के किनारे पर है। पुणे से रतनगढ़(Ratangarh) जाने में सड़कमार्ग से लगभग 4-5 घंटे का समय लगता है। रतनगढ़ किला(Ratangarh Fort) कुछ विशेष कारणों से प्रसिद्ध है। मुख्य कारण यहाँ खिलने वाले बैगनी रंग के कार्वी फूल(Karvi Flower) हैं। यह फूल सात वर्ष में एक बार खिलते हैं। रतनगढ़ किले से महाराष्ट्र के विश्व विख्यात अलंग मदन कुलंग के पहाड़ और महाराष्ट्र की सबसे ऊँची चोटी कलसुबाई दिखाई देते हैं। रतनगढ़ किले(Ratangarh Fort) की ट्रैकिंग(Trekking) के लिए इसके आधार गाँव रतनवाड़ी जाना होता है। रतनगढ़ किले को सह्याद्रि के पहाड़ों का आभूषण(Jewel of Sahyadri Hills) भी कहा जाता है। इस किले के शिखर के चट्टान में एक बहुत बड़ा छेद(Hole) है जिसे सुई की आँख(Eye of Needle) के नाम से जाना जाता है।   रतनगढ़ किले की ट्रैकिंग(Ratangarh Fort Trekking) के लिए हम लोग पुणे से एक ट्रैकिंग समूह(Trekker's Group) के साथ रात के करीब 11 बजे बस से निकले। यह एक छोटी बस थी जिसमे 30-35 लोग शामि